मानव
तस्करी झारखंड के लिए एक अभिशाप है। हर साल लाखों की तादाद में झारखंड के
महिला और बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार होते हैं, लेकिन झारखंड पुलिस
टै्रफिकिंग पर कितनी गंभीर हैं, इसका अंदाजा पुलिस द्वारा बच्चों की
ट्रैफिकिंग पर दिये गये आंकड़ों से लगाया जा सकता है। अप्रैल 2012 से 15
जुलाई 2013 तक पूरे राज्य से 230 बच्चे लापता हैं। इनमें से पुलिस ने मात्र
10 मामलों में ही प्राथमिकी दर्ज की है। शेष मामलों में पुलिस सनहा दर्ज
किये हुए है।
बाल अधिकार कार्यकर्ता शेषनाथ वर्णवाल द्वारा मांगे गये सूचना के अधिकार के जवाब में डीजीपी कार्यालय के जवाब में यह आंकड़े मिले हैं। आंकड़ो के हिसाब से लापता बच्चों के सबसे अधिक मामले में पूर्वी सिंहभूम से 33 आवेदन मिले। इनमें से पुलिस ने एक भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की। गढ़वा, लोहरदगा और गिरिडीह में भी 25 -25 मामले आये। इनमें से मात्र लोहरदगा के एक मामले में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की।
कोर्ट के आदेशों की अवहेलना
देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने बचपन बचाओ आंदोलन बनाम भारत सरकार के मामले में बच्चों की गुमशुदगी के प्रत्येक मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था। विडंबना है कि झारखंड में कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं हो रहा।
देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने बचपन बचाओ आंदोलन बनाम भारत सरकार के मामले में बच्चों की गुमशुदगी के प्रत्येक मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था। विडंबना है कि झारखंड में कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं हो रहा।
बोलते
आंकड़े
जिला
|
आवेदन
|
सनहा
|
प्राथमिकी दर्ज
|
सिमडेगा
|
04
|
03
|
01
|
जामतारा
|
06
|
05
|
01
|
गोड्डा
|
05
|
05
|
00
|
सरायकेला खरसांवा
|
17
|
17
|
00
|
हजारीबाग
|
22
|
19
|
03
|
खूंटी
|
15
|
15
|
00
|
गिरिडीह
|
25
|
25
|
00
|
साहेबगंज
|
15
|
12
|
03
|
पश्चिमी सिंहभूम
|
13
|
12
|
01
|
लोहरदगा
|
25
|
24
|
01
|
गढ़वा
|
25
|
25
|
00
|
पूर्वी सिंहभूम
|
33
|
33
|
00
|
गुमला
|
12
|
12
|
00
|
दुमका
|
10
|
10
|
00
|
पाकुड़
|
03
|
03
|
00
|
कुल
|
230
|
220
|
10
|