मानव तस्करी के जाल में फंसती आदिवासी युवतियां

अनीता की उम्र महज 14 साल है. सिर से पिता का साया कब उठा, याद नहीं. सितंबर महीने में कथित मानव तस्कर इस आदिवासी बाला को बहला-फुसला कर दिल्ली ले गए थे. दीया सेवा नामक ग़ैर सरकारी संस्था ने दुश्वारियों से बचा तो लिया, लेकिन भविष्य क्या होगा,

 इस मासूम को नहीं पता. उन्हें तो बस इतना भर पता है कि दूसरे के खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करेंगी तो ख़ुद का, बूढ़ी-लाचार माँ बिरंग होरो और तीन छोटे भाई-बहनों का पेट भरेगा.

हम उनके गाँव गए तो पता चला कि गाँव से दूर एक खेत में वो काम करने गई हैं.
पगडंडियों से चलते हम उस खेत तक पहुंचे, जहाँ अनीता (बदला हुआ नाम) खेत में मजदूरी कर रही थीं.
दर्द भरी कहान

अनीता की उम्र महज 14 साल है. सिर से पिता का साया कब उठा, याद नहीं. सितंबर महीने में कथित मानव तस्कर इस आदिवासी बाला को बहला-फुसला कर दिल्ली ले गए थे. दीया सेवा नामक ग़ैर सरकारी संस्था ने दुश्वारियों से बचा तो लिया, लेकिन भविष्य क्या होगा, इस मासूम को नहीं पता.


उन्हें तो बस इतना भर पता है कि दूसरे के खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करेंगी तो ख़ुद का, बूढ़ी-लाचार माँ बिरंग होरो और तीन छोटे भाई-बहनों का पेट भरेगा.

हम उनके गाँव गए तो पता चला कि गाँव से दूर एक खेत में वो काम करने गई हैं.
पगडंडियों से चलते हम उस खेत तक पहुंचे, जहाँ अनीता (बदला हुआ नाम) खेत में मजदूरी कर रही थीं.
दर्द भरी कहानी

"महानगरों से मुक्त कराई गई बच्चे-बच्चियों को नई ज़िंदगी की शुरूआत करने के लिए पर्याप्त मदद की जरूरत है."
बैद्यनाथ कुमार, मानव तस्करी के ख़िलाफ़ काम करनेवाले
अनीता झारखंड के खूंटी ज़िले के सुदूर कोसांबी गाँव की हैं. उन्होंने पाँचवी तक पढ़ाई की है.
पिछले छह सितंबर को कथित क्लिक करें मानव तस्कर अनीता के साथ इसी गांव की एक अन्य लड़की कुसुम (बदला हुआ नाम) को दिल्ली ले गए थे.


अनीता बताती हैं उन्हें प्लेसमेंट एजेंसी के हवाले कर दिया गया. इसके बाद उन्हें नोएडा में किसी के घर में दाई का काम करने भेज दिया गया.

चार अक्टूबर को झारखंड सीआईडी की टीम ने ग़ैरसरकारी संगठन दीया सेवा संस्थान के साथ मिलकर इस युवती को मुक्त कराया.

कुसुम की दास्ताँ भी दर्द भरी हैं. उम्र 17 साल. आठवीं तक पढ़ी हैं.
माँ के निधन के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी. पिता बीरबल बड़ाइक की काया ऐसी नहीं, जो परिश्रम कर सकें.
बड़े भाई मजदूरी करते हैं, छोटा भाई गुनु पिता की देखभाल करता है. छोटा सा खपरैल का घर. अभाव में गुजरती ज़िंदगी. सुबह-शाम खाना पकाना, घर के बर्तन धोना और दिन भर खेतों में काम करना.
फर्क़ इतना भर है कि कुसुम के अपने कुछ खेत हैं.
दिल्ली से जुड़े तस्करी के तार

झारखंड
कुसुम के पिता बीरबल बड़ाइक बताते हैं कि उन्हें किसी ने बताया कि दीया सेवा संस्थान के बैद्यनाथ कुमार से मिलें, वो आपकी मदद करेंगे.

इसके बाद वे बैद्यनाथ से मिले. फिर उन्होंने सीआईडी के आईजी से मिलकर बेटी को बहला-फुसला कर ले जाने की लिखित शिकायत सौंपी.

बैद्यनाथ बताते हैं कि वो सीआईडी के आईजी अनुराग गुप्ता से मिले. दिल्ली से दोनों क्लिक करें युवतियों को मुक्त कराने के लिए पुलिस टीम भेजने का अनुरोध किया.

तब आईजी ने पुलिस की एक विशेष टीम गठित कर दिल्ली भेजी. दिल्ली पुलिस की मदद से दोनों युवतियों को मुक्त कराया गया.
साहबेगंज की रहने वाली रीना (बदला हुआ नाम) भी 29 अक्तूबर को झारखंड लौट आई हैं. हाल ही में दिल्ली में रीना को गंभीर स्थिति में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

जिस घर में वो दाई का काम करती थीं, वहाँ उन्हें बुरे तरीके से प्रताड़ित किया गया था.
रीना समेत आठ बच्चियां दिल्ली से मुक्त कराकर झारखंड लाई गई हैं.

झारखंड लौटने पर रीना ने इतना भर कहा, "ताउम्र जख़्मों को नहीं भूल पाऊंगी".
मानव तस्करी के ख़िलाफ़ फैलते कारोबार के ख़िलाफ़ काम करने वाले बैद्यनाथ कुमार कहते हैं, "महानगरों से मुक्त कराए गए बच्चे-बच्चियों को नई ज़िंदगी की शुरुआत करने के लिए पर्याप्त मदद की जरूरत है."

तस्करी का फैलता जाल
मानव तस्करी रोकने की तैयारी

मानव तस्करी की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए थानों को विशेष जिम्मेदारी दी गई है.
तस्करी में शामिल कथित प्लेसमेंट एजेंसियों व दलालों का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है.
झारखंड सरकार ने आठ थानों को मानव तस्करी पर लगाम कसने के लिए चुना है.

यह थाने हैं गुमला नगर, सिमडेगा नगर, खूंटी नगर, दुमका नगर, कोतवाली रांची, चाईबासा सदर, लोहरदगा सदर और पलामू सदर.थानों में दर्ज़ हो रहे हैं मामले. अकेले खूंटी मानव तस्करी निरोधक इकाई( एटीएचयू) में 44 मामले दर्ज़ किए गए हैं.

2001 से जून 2013 तक राज्य में क्लिक करें मानव तस्करी के 254 मामले दर्ज़ किए गए हैं. ये रिपोर्ट झारखंड सीआईडी की है. अब तक 179 मामलों में पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किए हैं. लेकिन अभी भी 66 मामले लंबित हैं.

यहाँ ग़ौर करने लायक बात यह है कि अधिकतर मामलों में एक से ज़्यादा बच्चों को बाहर ले जाने की प्राथमिकी दर्ज़ की गई है. साल दर साल दर्ज़ मामलों की संख्या बढ़ रही है.

साल 2001 में राज्य भर में मानव तस्करी के सिर्फ़ दो मामले दर्ज़ किए गए थे. वहीं 2012 में यह तस्करी के मामलों की संख्या बढ़कर 76 हो गई. इस साल जून के आख़िर तक 48 मामले विभिन्न ज़िलों में दर्ज़ किए गए हैं.
मानव तस्करी के सबसे ज़्यादा मामले जनजातीय बहुल इलाके राँची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, खूंटी, साहेबगंज में दर्ज किए गए हैं. झारखंड की सीआईडी रिपोर्ट के मुताबिक़ पुलिस ने अब तक 444 युवक-युवतियों को महानगरों से मुक्त कराया है.

दीया सेवा संस्थान का दावा है कि महानगरों से उसने 110 युवतियों और 15 युवकों को मुक्त कराया है. दूसरे ग़ैर सरकारी संगठनों ने भी कई बच्चों को मुक्त कराया है.
क्या कर रही है सीआइडी?

अनुराग गुप्ता बताते हैं कि मानव व्यापार रोकने और कथित एजेंटों व प्लेसमेंट एजेंसियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

एक विशेष टीम गठित गई है, जो दर्ज मामलों के साथ ग़ैर सरकारी संगठनों की सूचनाओं पर भी कार्रवाई करने में जुटी है.
आईजी के मुताबिक़ इसके परिणाम भी बेहतर मिल रहे हैं. हालांकि अंतरराज्यीय मामलों के कारण बचाव में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
सीआईडी झारखंड ने 10 सितंबर को डीसीपी क्राइम ब्रांच दिल्ली को 240 कथित एजेंट और प्लेसमेंट एजेंसियों की सूची भेजी है.

अपराध अनुसंधान विभाग को यह सूची ग़ैर सरकारी संगठन दीया सेवा संस्थान ने दिल्ली जाकर की गई छानबीन के बाद सौंपी हैं.

इस बीच समाज कल्याण विभाग झारखंड सरकार के सचिव राजीव अरूण एक्का का कहना है कि वे मानव व्यापार को रोकने तथा मुक्त कराए गए बच्चों को मदद करने की पहल में जुटे हैं.
इसमें ग़ैर सरकारी संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी.
महानगरों से मुक्त कराई गई बच्चे-बच्चियों को नई ज़िंदगी की शुरूआत करने के लिए पर्याप्त मदद की जरूरत है."
बैद्यनाथ कुमार, मानव तस्करी के ख़िलाफ़ काम करनेवाले
अनीता झारखंड के खूंटी ज़िले के सुदूर कोसांबी गाँव की हैं. उन्होंने पाँचवी तक पढ़ाई की है.
पिछले छह सितंबर को कथित क्लिक करें मानव तस्कर अनीता के साथ इसी गांव की एक अन्य लड़की कुसुम (बदला हुआ नाम) को दिल्ली ले गए थे
अनीता बताती हैं उन्हें प्लेसमेंट एजेंसी के हवाले कर दिया गया. इसके बाद उन्हें नोएडा में किसी के घर में दाई का काम करने भेज दिया गय

चार अक्टूबर को झारखंड सीआईडी की टीम ने ग़ैरसरकारी संगठन दीया सेवा संस्थान के साथ मिलकर इस युवती को मुक्त कराया.
कुसुम की दास्ताँ भी दर्द भरी
 हैं. उम्र 17 साल. आठवीं तक पढ़ी हैं.
माँ के निधन के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी. पिता बीरबल बड़ाइक की काया ऐसी नहीं, जो परिश्रम कर सकें.
बड़े भाई मजदूरी करते हैं, छोटा भाई गुनु पिता की देखभाल करता है. छोटा सा खपरैल का घर. अभाव में गुजरती ज़िंदगी. सुबह-शाम खाना पकाना, घर के बर्तन धोना और दिन भर खेतों में काम करना.
फर्क़ इतना भर है कि कुसुम के अपने कुछ खेत हैं.दिल्ली से जुड़े तस्करी के तार झारखंड
कुसुम के पिता बीरबल बड़ाइक बताते हैं कि उन्हें किसी ने बताया कि दीया सेवा संस्थान के बैद्यनाथ कुमार से मिलें, वो आपकी मदद करेंगे.
इसके बाद वे बैद्यनाथ से मिले. फिर उन्होंने सीआईडी के आईजी से मिलकर बेटी को बहला-फुसला कर ले जाने की लिखित शिकायत सौंपी.
बैद्यनाथ बताते हैं कि वो सीआईडी के
 आईजी अनुराग गुप्ता से मिले. दिल्ली से दोनों क्लिक करें युवतियों को मुक्त कराने के लिए पुलिस टीम भेजने का अनुरोध किया.
तब आईजी ने पुलिस की एक विशेष टीम गठित कर दिल्ली भेजी. दिल्ली पुलिस की मदद से दोनों युवतियों को मुक्त कराया गया.
साहबेगंज की रहने वाली रीना (बदला हुआ नाम) भी 29 अक्तूबर को झारखंड लौट आई हैं. हाल ही में दिल्ली में रीना को गंभीर स्थिति में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

जिस घर में वो दाई का काम करती थीं, वहाँ उन्हें बुरे तरीके से प्रताड़ित किया गया था.
रीना समेत आठ बच्चियां दिल्ली से मुक्त कराकर झारखंड लाई गई हैं.
झारखंड लौटने पर रीना ने इतना भर कहा, "ताउम्र जख़्मों को नहीं भूल पाऊंगी".

मानव तस्करी के ख़िलाफ़ फैलते कारोबार के ख़िलाफ़ काम करने वाले बैद्यनाथ कुमार कहते हैं, "महानगरों से मुक्त कराए गए बच्चे-बच्चियों को नई ज़िंदगी की शुरुआत करने के लिए पर्याप्त मदद की जरूरत है."
तस्करी का फैलता जाल मानव तस्करी रोकने की तैयारी
मानव तस्करी की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए थानों को विशेष जिम्मेदारी दी गई है.
तस्करी में शामिल कथित प्लेसमेंट एजेंसियों व दलालों का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है.
झारखंड सरकार ने आठ थानों को मानव तस्करी पर लगाम कसने के लिए चुना है.

यह थाने हैं गुमला नगर, सिमडेगा नगर, खूंटी नगर, दुमका नगर, कोतवाली रांची, चाईबासा सदर, लोहरदगा सदर और पलामू सदर.
थानों में दर्ज़ हो रहे हैं मामले. अकेले खूंटी मानव तस्करी निरोधक इकाई( एटीएचयू) में 44 मामले दर्ज़ किए गए हैं.2001 से जून 2013 तक राज्य में क्लिक करें मानव तस्करी के 254 मामले दर्ज़ किए गए हैं. ये रिपोर्ट झारखंड सीआईडी की है. अब तक 179 मामलों में पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किए हैं. लेकिन अभी भी 66 मामले लंबित हैं.

यहाँ ग़ौर करने लायक बात यह है कि अधिकतर मामलों में एक से ज़्यादा बच्चों को बाहर ले जाने की प्राथमिकी दर्ज़ की गई है. साल दर साल दर्ज़ मामलों की संख्या बढ़ रही है.

साल 2001 में राज्य भर में मानव तस्करी के सिर्फ़ दो मामले दर्ज़ किए गए थे. वहीं 2012 में यह तस्करी के मामलों की संख्या बढ़कर 76 हो गई. इस साल जून के आख़िर तक 48 मामले विभिन्न ज़िलों में दर्ज़ किए गए हैं.
मानव तस्करी के सबसे ज़्यादा मामले जनजातीय बहुल इलाके राँची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, खूंटी, साहेबगंज में दर्ज किए गए हैं. झारखंड की सीआईडी रिपोर्ट के मुताबिक़ पुलिस ने अब तक 444 युवक-युवतियों को महानगरों से मुक्त कराया है.

दीया सेवा संस्थान का दावा है कि महानगरों से उसने 110 युवतियों और 15 युवकों को मुक्त कराया है. दूसरे ग़ैर सरकारी संगठनों ने भी कई बच्चों को मुक्त कराया है.
क्या कर रही है सीआइडी?
अनुराग गुप्ता बताते हैं कि मानव व्यापार रोकने और कथित एजेंटों व प्लेसमेंट एजेंसियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.
एक विशेष टीम गठित गई है, जो दर्ज मामलों के साथ ग़ैर सरकारी संगठनों की सूचनाओं पर भी कार्रवाई करने में जुटी है.
आईजी के मुताबिक़ इसके परिणाम भी बेहतर मिल रहे हैं. हालांकि अंतरराज्यीय मामलों के कारण बचाव में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

सीआईडी झारखंड ने 10 सितंबर को डीसीपी क्राइम ब्रांच दिल्ली को 240 कथित एजेंट और प्लेसमेंट एजेंसियों की सूची भेजी है.

अपराध अनुसंधान विभाग को यह सूची ग़ैर सरकारी संगठन दीया सेवा संस्थान ने दिल्ली जाकर की गई छानबीन के बाद सौंपी हैं.

इस बीच समाज कल्याण विभाग झारखंड सरकार के सचिव राजीव अरूण एक्का का कहना है कि वे मानव व्यापार को रोकने तथा मुक्त कराए गए बच्चों को मदद करने की पहल में जुटे हैं.
इसमें ग़ैर सरकारी संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी.
Report :- छत्तीसगढ़ लाईव नीरज सिन्हा कोसांबी गाँव से लौटकर