तस्करों से छुड़ा बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे

मासूमों का चहकना लोगों को नए उत्साह से भर देता है, लेकिन झारखंड जैसे नक्सल की मार झेल रहे प्रदेश में बच्चों की तस्करी भी बड़े पैमाने पर होती है। जिस उम्र में बच्चे अपनी आजादी को पूरी तरह से जीना चाहते हैं, उसी समय मानव तस्करों की काली नजर इनका बचपन छीन लेती है। राज्य के कई जिले ऐसे हैं जहां बड़ी संख्या में लड़के और लड़कियां संगठित तस्करी का शिकार होती हैं। उन्हीं बच्चों की मुस्कान वापस लाने के लिए रांची की एक संस्था पिछले 14 सालों से काम कर रही है। वर्ष 2012 से अभी तक इस संस्था ने 543 बच्चों को मुक्त कराया है। अधिकांश बच्चे दिल्ली से बरामद हुए हैं। यह संस्था बच्चों को बरामद करने के बाद उन्हें ट्रेनिंग देती है और 18 वर्ष होने के बाद उन्हें रोजगार देती है।


इस संस्था की शुरुआत 10 जून 2012 को हुई थी। पहले महिलाओं के लिए संस्था काम करती थी। छह सौ स्वयं सहायता समूह बनाने के बाद संस्था के लोगों को पता चला कि झारखंड में कई ऐसे गांव हैं जहां से बच्चों को काम कराने के लिए तस्कर ले जाते हैं

 और बच्चे लौट कर नहीं आते। संस्था के लोग दिल्ली में रहकर मानव तस्करी के पूरे मामले को समझने के बाद 240 प्लेसमेंट एजेंसी की लिस्ट बनाकर उन्हें सीआईडी को सौंपा। इसके बाद संस्था के लोग और सीआईडी की टीम एक साल मिलकर काम करने लगी। 

मानव तस्करों से मुक्त कराए गए बच्चों को पढ़ाते संस्था के सदस्य।
झारखंड के कई मानव तस्करों को संस्था के लोग पकड़कर पुलिस के हवाले कर चुके हैं। 

 इनमें मुख्य रूप से पन्नालाल, सुनीता, लता लकड़ा, कृष्णा साहू आदि शामिल हैं। संस्था के लोग बच्चों को मुक्त कराने के बाद थाना में मामला दर्ज करवाते हैं। तस्करों के खिलाफ केस लड़ते हैं। कुछ माह पहले मानव तस्कर विजय सिंह को सजा हुई थी। 

संस्था के सहयोग से जिन बच्चों को मुक्त कराया गया, उनमें से 150 बच्चियों को कांके स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में पढ़ाया जा रहा है। इनका सारा खर्च संस्था उठाती है। 

जिन बच्चों को उनके घर भेज दिया जाता है, वहां भी संस्था के लोग नजर रखते हैं कि कहीं दुबारा उन बच्चों को बाहर तो नहीं भेजा जा रहा है। संस्था के लोग अन्य स्कूलों में जाकर भी बच्चों को समझाते हैं
 कि मानव तस्करी क्या होती है। संस्था ने हेल्प लाइन नंबर जारी किया है। इससे संस्था को काफी मदद मिलती है और उन्हें सूचना मिलती है कि कहां बच्चे फंसे हुए हैं। 

इस संस्था में 13 लोग काम करते हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं हैं।
 पूजा देवी इसकी अध्यक्ष हैं। सुमित्रा टोप्पो, शकुंतला देवी, दशमी टोप्पो, फूलमणि टोप्पो, अनिता देवी, सीता देवी, ललिता उरांव कौशल्या देवी, सीता स्वांसी सचिब और बैनाथ कुमार। 
13 लोग शामिल हैं संस्था में
150 बच्चियां पढ़ रही हैं स्कूल में
कई मानव तस्करों को गिरफ्तार करा चुकी है संस्था
संस्थान के सदस्यों ने अपने अथक प्रयास से 2012 से अब तक पांच सौ से अिधक बच्चों को मुक्त कराने में पाई कामयाबी